जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार स्वामी महावीर का जन्म बिहार के कुंडिनपुर के राज परिवार में हुआ था. बचपन में इन्हें वर्धमान नाम से पुकारा जाता था. बचपन से ही उनका झुकाव आध्यात्म की ओर था. हम उम्र किशोरों के साथ खेलते-खेलते अचानक ही वह ध्यान अवस्था में चले जाते थे.
सनातन धर्म की परंपरा का जब विस्तार होता है तो इससे अलग कई मत और पंथ सामने आते हैं. जब-जब धर्म के वास्तविक और सच्चे स्वरूप को समझना कठिन होने लगा और मानव समाज इन्हें भूलने लगा तो इसकी मूल शिक्षाओं को फिर से जन-जन के बीच लाने के लिए कई महापुरुष और सिद्धपुरुष सामने आए.
इस परंपरा में अक्सर ब्राह्मण या साधु समाज के लोगों का नाम सामने आया, लेकिन वीर भूमि भारत में क्षत्रिय कुल से निकले दो राजकुमार अमर हैं. इन्होंने क्षमादान में सच्ची वीरता देखी, युद्ध जीतने में ही बल्कि प्राणियों का हृदय जीतना सबसे कठिन माना और हर किसी के कष्ट को सच्ची प्रजासेवा समझा. महात्मा बुद्ध और महावीर स्वामी यही दो जगविजेता हैं, जिनकी मानवता की सेवा की शिक्षाएं अमर हैं. महावीर जयंती के मौके पर जैन धर्म के तीर्थंकर महावीर स्वामी की बात-
जैन धर्म का प्रमुख पर्व है महावीर जयंती
जैन धर्म का सबसे प्रमुख पर्व महावीर जयंती धूम-धाम से मनाया जाता है. महावीर जयंती का पर्व स्वामी महावीर के जन्मदिन चैत्र शुक्ल त्रयोदशी में मनाया जाता है. इस बार यह तिथि सोमवार को है. स्वामी महावीर जैन धर्म के 24 वें तीर्थकार थे.